अभिनव अरोरा 9 साल की उम्र से पढ़ाई-लिखाई छोड़कर बने संत: जानिये इनके बारे में अभिनव अरोरा
इस आर्टिकल में हम आपको एक नए बालक 9 वर्ष की उम्र से ही उन्होंने पढ़ाई-लिखाई छोर एक बाबा बन चुके है। अब ये आज कल तेज़ी से ऑनलाइन मीडिया में वायरल हो रहे है। चलिए मैं आपको इनके बारे में सरल और आसान सब्दो में समझता हु।
आज की दुनिआ में काफी ऑप्शन्स है बिज़नेस या पैसा कमाने का और यह इकनोमिक टाइम्स से लिया गया है जिसमे अभिनव अरोरा नामक 9 साल का बच्चा कभी स्कूल नहीं गया। उसने कुछ भी पढ़ाई नहीं किया। ये बच्चा दिल्ली का रहने वाला है। तोह कई लोग ये कहते है की ये बच्चा कम आयु में बाबा बनकर लोगो को गणेश भगवन और श्री कृष्णा भगवन की अछि अछि बात और गीत गाता है।
आये दिनों भगवन के नाम पर कई बाबा और संत बन कर लोगो के दिलो पर राज करते है और देश विदेश में भगवन और धर्म का प्रचार करते है। लेकिन कई बाबा ऐसे भी है जो की इस चीज़ का ढोंग करते है और सोशल मीडिया पर फेमस होने के लिए या पैसा कमाने के लिए और कई तरह का चमत्कार करने के लिए लोगो से पैसा लूट ते है जो की लोगो के नज़रो में ढोंगी बाबा के नाम से जाना जाते है। आप जानते ही है राम रहीम जैसे बाबा दीखते कुछ और है होते कुछ और होते हैं। इस पर कई बाबा ऐसे भी है जिन्होंने लोगो के दिल पर अपना नाम बना लिया और लोगो के नज़रो में भगवन और करिश्मा के रूप में उभर के आते है।
हम इस पोस्ट के माध्यम से आपको यह समझाना चाहते है की बाबा आज कल बच्चो को भी एक करियर लगता है जिसमे से अभिनव अरोरा जिनकी उम्र 9 साल से ही बिना पढ़ाई लिखे किये बाल संत बन गए है। बाल संत लोगो को काफी पसंद आ रहे है। उन्होंने अपना इंस्टाग्राम अकाउंट से डेली के पोस्ट डालते है जिसमे से उनके गणेश चतुर्थी के समय का वीडियो काफी तेज़ी से वायरल हो रहा है जिसमे वे गणेश जी के विसर्जन होने के समय नहर किनारे गणपति ववपा के लिए रो रहे है और परसादी लाडू को अपने दोस्त की तरहगणपति के मूह पर सटा रहे है जिसपर उनके वीडियो पर भर भर लाइक्स और कमेंट लोगो कर रहे है। उनके इंस्टाग्राम पे 9.8 लाख फोल्लोवेर्स हैं।
उन्होंने यह बताया की वे श्री कृष्णा को अपने छोटे भाई के सामान मानते है और अपने आपको बलराम भाईया का रूप बता रहे है। लोगो उन्हें बाल संत के रूप में जानते है। वैसे कई इन्फ्लुएंसर और बड़े बड़े फोल्लोवेर है जिनके वे कह रहे है यह बाबा बनना आज कल बिज़नेस बन चूका है। जिसपे वे कहते है की ये बच्चे जो संत बनते जा रहे है वो आगे चल कर लोगो का बाबा पर विश्वास उठ सकता है और लोगो को ये फैसला करना मुश्किल हो जाएगा की नकली बाबा और असली बाबा कौन है। इनका भेद करना आम लोगो के लिए बहुत ही ज्यादा मुश्किल हो जाएगा।
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